इन खड़डो का अब कुछ तो करना पडेगा

मुंबई शहर में कल एक पुरानी इमारत गिर जाने के कारण 13 लोगों की मौत हो गयीl अभी पिछले हप्ते एक महिला पर एक पुराना पेड़ गिरा और उसकी वही पर मौत हो गयीl दो दिनों पेह्ले  बाइक पर जा रही एक औरत का अगला पहिया एक ढाई फिट चौडे खडडे में फ़स गया और उसकी मौत हो गयीl
ऐसा सिर्फ अविक्सित देशों में ही होता हैं कि कोई पुरानी इमारत, या कोई पेड़ बारिश के मौसम मे गिर जायें और किसी की दुर्भाग्यपूर्ण मौत का कारण बनेl रास्तों पे बडे बडे खडडे भारत के कौन से शेहर में मौजूद नहीं हैं?

महत्वपूर्ण प्रश्न इधर ये है कि हर साल जरा सी बारिस हुई के खड़डे रास्तों पे नज़र आना शुरू हो जाते हैं, हमारे गांव-गांव, शहर-शहर मेंl आखिर कैसे रस्तें बना रहे हैं प्रशासन वाले? नागरिक तो पुरा tax भर रहा हैं, road tax, water tax, ये tax, वो tax……और आप उसे भेंट देते हो क्या - ये यमदूत जैसे खड़डे और पुरानी इमारतें? क्या ईस लिये चुनाव होता हैं नगरपालिकाओ का कि ऐसे भ्रष्ट मानवभक्षक चुने जाये? इनका झमीर तो जैसे कब का मर चुका हैंl हर साल बीस पच्चीस ऐसे सडकों पे कुत्तों की मौत मरे तो इनको जरासा भी फर्क नहीं पड़ताl ये लोग अपना भ्रष्टाचार चालू रखेंगे, अपनी खुद की तिजोरियां भरते रहेंगे और ऐसी बेकार अत्यन्त निम्नस्तर की सड़कें बनाते रहेंगेl
ये सिलसिला हर साल चलता रहता हैं और आगे भी ये युं ही चलता रहेगाl बारिस का मौसम आयेगा, पुरानी इमारतें गिरेगी, नये नये बडे खडडे बनेंगे और फिर से लोग मरेंगेl ईस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाचक्र में कोई बदलाव नहीं आने वाला जब तक……जब तक भारत के नागरिक अत्यन्त सजाग ना हो जायेl

आओ आप और में ईतने सजाग बन जाये की बारिस आने से पहले पुरे देश के प्रशासन के लोग फटाफट सब रस्तें, सब इमारतें अपने आप check कर लेंl

भारत के सम्विधान में ऐसा बदलाव लाने की शीघ्र ही जरुरत हैं, जिससे की ऐसी भयानक बेदर्कारी दिखाने वालें सभी लोग - bureacrats ( अधिकारी), Politician (सियासती दावपेंच वाले), को कडी से कडी सझा मील पायेंl ऐसा अगर जल्दी नहीं हुवा तो बेकसूर, निर्दोष लोग ऐसे ही मरते रहेंगेl -(kb)

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